डोमेस्टिक शेयर मार्केट में चल रहे उतार-चढ़ाव के बीच, पिछले सप्ताह देश की 10 सबसे ज्यादा वैल्यूएबल कंपनियों में से 3 की मार्केट कैप ने एक बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की है, जिसका कुल मार्केट कैप अब ₹70,312.7 करोड़ है। इसमें सबसे अधिक फायदा हासिल करने वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज रही है।
पिछले सप्ताह, सात कंपनियों की मार्केट कैप में ₹68,783.2 करोड़ की कमी देखी गई है। इसके अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ ही HDFC बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर की मार्केट कैप में वृद्धि हुई, जबकि TCS, ICICI बैंक, इंफोसिस, भारतीय स्टेट बैंक, ITC, भारतीय एयरटेल, और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की मार्केट कैप में कमी आई है। इन 7 कंपनियों की मिलकर मार्केट कैप में ₹68,783.2 करोड़ की कमी हुई है।
एक सप्ताह पहले, जब BSE बेंचमार्क सेंसेक्स ने रिकॉर्ड तेजी दर्ज की थी, उसके बाद सप्ताह के दौरान मुनाफावसूली के कारण सेंसेक्स में 376.79 अंक यानी 0.52% की गिरावट दर्ज की गई थी।
रिलायंस की मार्केट कैप ने इस दौरान ₹47,021.59 करोड़ बढ़कर ₹17.35 लाख करोड़ तक पहुंच गई है। हिंदुस्तान यूनिलीवर की मार्केट कैप ने भी इस समय में ₹12,241.37 करोड़ बढ़कर ₹6.05 लाख करोड़ और HDFC बैंक की मार्केट कैप ने ₹11,049.74 करोड़ बढ़कर ₹12.68 लाख करोड़ हो गई है।
दूसरी ओर, ICICI बैंक की मार्केट कैप ने ₹30,235.29 करोड़ की कमी होकर ₹6.97 लाख करोड़ हो गई, TCS की मार्केट कैप में ₹12,715.21 करोड़ की कमी होकर ₹13.99 लाख करोड़ रह गई और SBI की मार्केट कैप में ₹10,486.42 करोड़ की कमी होकर ₹5.68 लाख करोड़ रही।
इसके अलावा, इंफोसिस की मार्केट कैप ने ₹7,159.5 करोड़ की कमी होकर ₹6.48 लाख करोड़, ITC की मार्केट कैप में ₹3,991.36 करोड़ की कमी होकर ₹5.67 लाख करोड़, भारती एयरटेल की मार्केट कैप में ₹2,108.17 करोड़ की कमी होकर ₹5.56 लाख करोड़ रही और LIC की मार्केट कैप में ₹2,087.25 करोड़ की कमी होकर ₹5.01 लाख करोड़ रही है।
टॉप 10 कंपनियों की रैंकिंग में, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी पहचान को बनाए रखी है और टॉप पर रही है। इसके बाद इस सूची में TCS, HDFC बैंक, ICICI बैंक, इंफोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारतीय स्टेट बैंक, ITC, एयरटेल और LIC हैं।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम करता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती हैं। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।